दुल्हन (दैनिक प्रतियोगिता)
कली रही है आज तक,खिलकर हुई गुलाब।
देख देख शरमा गया,ये चाँद आफताब।।
बनकर दुल्हन है चली,पिया मिलन की चाह।
ये सुख दुख की छाँव में,कट जाएंगे राह।।
अम्मा की है लाडली,प्यारी लगती बात ।
घर आँगन महकाएगी,करे प्यार बरसात।।
दुल्हन के पोशाक में,सजी पिया के संग।
मन ही मन है लिए हया,फिर भी भरे तरंग।।
हाथ छोड़ बाबूल के,चल दुल्हन ससुराल।
महकाओ हर घर खुशी,महके तीनों काल।।
तोषण चुरेंद्र \'दिनकर\'
धनगांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
fiza Tanvi
15-Jun-2022 09:58 PM
Good
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Gunjan Kamal
12-Jun-2022 10:34 AM
शानदार
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Swati chourasia
12-Jun-2022 07:51 AM
Very beautiful 👌👌
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Toshan Churendra 'Dinkar'
12-Jun-2022 09:27 AM
बहोत बहोत धन्यवाद
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